उदयपुर: सर पदमपत सिंघानिया विश्वविद्यालय (एसपीएसयू) ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करते हुए सभी पारंपरिक कोर्सों को बंद कर, पूरी तरह से कौशल आधारित और उद्योग उन्मुख शिक्षा की ओर रुख कर लिया है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन के पीछे हैं विश्वविद्यालय के दूरदर्शी कुलपति प्रो. पृथ्वी यादव, जिन्होंने डॉ. मुनेश अरोड़ा से बातचीत में एसपीएसयू की भविष्य की शिक्षा प्रणाली की विस्तार से जानकारी दी।
“अब केवल डिग्री हासिल कर लेना पर्याप्त नहीं है, जब तक विद्यार्थियों के पास वास्तविक कौशल और व्यावसायिक दक्षता न हो,” प्रो. यादव ने कहा। “आज के प्रतिस्पर्धी युग में पारंपरिक पाठ्यक्रम अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं।”
नवाचार की दिशा में बड़ा कदम
एसपीएसयू ने स्वयं को आधुनिक युग का विश्वविद्यालय घोषित करते हुए उन सभी पाठ्यक्रमों को अपनाया है जो वर्तमान और भविष्य की व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप हैं। वर्तमान में संचालित कुछ प्रमुख कोर्स हैं:
प्रौद्योगिकी आधारित पाठ्यक्रम
व्यवसाय प्रबंधन कार्यक्रम
विज्ञान व नवाचार के समन्वित विषय
प्रो. यादव ने स्पष्ट कहा कि "अब एसपीएसयू में पारंपरिक कोर्स नहीं रह गए हैं। हमारा संपूर्ण ध्यान छात्रों को व्यावहारिक और उद्योग उपयोगी ज्ञान देने पर है।"
2026-27 से दो नए पाठ्यक्रम
Vision 2026 के तहत विश्वविद्यालय शैक्षणिक सत्र 2026-27 से दो नए डिग्री पाठ्यक्रम प्रारंभ करने जा रहा है:
बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर
बैचलर इन हॉस्पिटल मैनेजमेंट
ये दोनों कोर्स उद्योग विशेषज्ञों की सलाह और भागीदारी से तैयार किए गए हैं ताकि छात्रों को बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर किया जा सके।
नई शिक्षा नीति 2020 के साथ तालमेल
प्रो. यादव ने नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को प्रभावी बनाने की दिशा में शिक्षकों से अनुरोध किया कि वे:
पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों से आगे बढ़ें
हस्तकौशल प्रशिक्षण और प्रायोगिक ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करें
छात्र-केंद्रित और नवाचारी शिक्षण को अपनाएं
“अब शिक्षकों को अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर खुद को नई पीढ़ी की शिक्षा के अनुरूप ढालना होगा,” उन्होंने कहा।
रोजगारपरक शिक्षा की मिसाल
एसपीएसयू एक ऐसा वातावरण तैयार कर रहा है जो उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों को तैयार करता है। विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर छात्र डिग्री के साथ-साथ कौशल और आत्मविश्वास से भी सशक्त हो।
इस परिवर्तनकारी पहल के साथ एसपीएसयू ने न केवल शिक्षा जगत की ज़रूरत को समझा है, बल्कि उसका नेतृत्व भी कर रहा है।